July 8, 2025

KORBA : खरीफ सीजन के लिए किसानों को बांटा जायेगा 100 करोड़ का ऋण

कोरबा : औद्योगिक जिले कोरबा में खेती का पर्याप्त रकबा मौजूद है। अनाज उत्पादक वर्ग की कुल संख्या 1 लाख के आसपास है जो धान के अलावा दूसरी फसले उत्पादित करने में विश्वास रखती है। परंपरागत के साथ उन्नत खेती की तरफ कृषक समुदाय लगातार बढ़ रहा है। सरकार की नीति के अंतर्गत जिला सहकारी केंद्रीय बैंक इस वर्ष किसानों को 100 करोड रुपए का ऋण वितरित करने की तैयारी में है। जबकि पिछले वर्ष यानी 2024 25 में दिए गए कुल ऋण की 95 $फीसदी वसूली की जा चुकी है।

खेती-बाड़ी से जुड़े कृषक वर्ग को आगे बढ़ाने और उनकी जरूरत को पूरा करने के लिए अलग-अलग प्लेटफार्म पर सुविधा उपलब्ध कराई जा रहे हैं। किसानों को इस बारे में लगातार जागरूक किया जा रहा है। 0त्न अत्यंत कम दर पर उन्हें वित्तीय सहायता देने के प्रावधान सहकारी बैंक ने बनाए हैं। इसी सिलसिले में खरीफ सीजन वर्ष 2025 के लिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित कोरबा ने विभिन्न समितियां में पंजीकृत किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड से 100 करोड रुपए का ऋण देना निश्चित किया है। इसके लिए शुरुआती तौर पर समितियों के स्तर पर केसीसी फॉर्म भराए जा रहे हैं। खबर के अनुसार इस सहायता में किसान 40 $फीसदी वस्तु जिसमें खाद बीज और उपकरण शामिल है ले सकते हैं जबकि उन्हें 60 फीसदी नगद राशि उपलब्ध कराई जाएगी। बताया गया कि पिछले वर्ष 2024 में जिला सहकारी बैंक के द्वारा किसानों को दी गई वित्तीय सहायता के अनुक्रम में अब तक 95त्न वसूली हो चुकी है। इस मामले में बहुत ज्यादा झंझट अब नहीं बची है इसलिए वित्तीय सहायता देने को लेकर बैंक प्रबंधन उत्साहित है।


धान खरीदी से होती है कटौती
डिजिटल क्रांति आज हर क्षेत्र में है तो इससे सहकारी बैंक भला कैसे बच सकता है। उसने भी किसानों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता की वसूली के लिए ऑनलाइन सिस्टम बना रखा है। इससे किसानों की परेशानी भी कम होती है और प्रबंधन की भी। बताया गया कि मौजूदा वर्ष बैंक के द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता को धान खरीदी के सीजन में अनाज उत्पादक को भुगतानयोग्य राशि से ऑनलाइन काट लिया जाता है। ऐसे में ना तो बार-बार तकादे का पचडा रहता और ना ही फालतू का टेंशन।


कृषि क्षेत्र में आया परिवर्तन
कोरबा जिले में खेती-बाड़ी के साथ आजीविका संचालित करने और आर्थिक मजबूती को लेकर कृषक वर्ग लगातार काम कर रहा है। बहुत कम मामलों में खेती के लिए परंपरागत साधन यानी बैलगाड़ी, हल का उपयोग हो रहा है। समय के साथ कदमताल करते हुए किसानों ने सरकारी योजनाओं को न केवल जाना बल्कि उनका लाभ लेने में रुचि दिखाई। वर्तमान स्थिति में ट्रैक्टर दूसरे साधनों से खेतों की जुताई और फसल की कटाई के लिए हार्वेस्टर मशीन का उपयोग बड़ी मात्रा में बड़ा है। किसानों को इन संसाधनों का उपयोग करने से समय में बचत हुई है और पारिश्रमिक के नाम पर होने वाले खर्च में भी काफी कमी आई है। क्योंकि देखा गया है कि मनरेगा और सरकार की दूसरी लॉन्च की गई योजनाओं से मिलने वाले लाभ के कारण खेती-बाड़ी के लिए श्रमिक का अभाव हो गया है। ऐसे में किसानों ने कार्यक्षेत्र के अंतर्गत बदलाव करने पर ध्यान दिया।

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