कोयला खदानों में डिओ कार्य करने वाले लोकल लोगों के संपत्ति की हो जांच,करोड़ बेहिसाब कमाई का नहीं कोई हिसाब
कोरबा जिला ऊर्जाधानी के नाम से जाना पहचाना जाता है यहां काले हीरे के रूप में कोयले का उत्पादन होता है,जिससे बिजली का निर्माण होता है। लोगों के रोजगार की भी व्यवस्था कोयले के द्वारा ही हो जाती है। एक ओर जहां देश की अर्थव्यवस्था कोयले के उत्पादन से मजबूत हो रही है वहीं इस कोयले की काली कमाई से क्षेत्र के तथाकथित लोग मालामाल हो रहे है और टेक्स चोरी कर देश की आर्थिक प्रणाली को क्षति पहुंचा रहे हैं। बीते कई दशकों से खदानों में अवैध कोयला लोडिंग का काला खेल चल रहा है, लोडिंग के एवज में प्रति टन पैसे लिए जाते है,जो 10 रुपए प्रति टन से लेकर 400 रुपए प्रति टन तक होते हैं,यह लोड होने वाले कोयले की क्वालिटी पर निर्भर करता हैं। जिले की मेगा परियोजनाओं में कार्य कर रहे लोकल स्तर के कोल लिफ्टर (दलाल) पार्टी से कोल लिफ्टिंग का कार्य ले लेते है और उन्हें खदान क्षेत्र से अच्छा कोयला सप्लाई करते हैं। इसके कार्य में कोयला गिराने से कोयला उठाव तक की जिम्मेदारी कोल लिफ्टर की होती है जिसके एवज में मोटा मुनाफा होता है। जिसका लिखित में या पेपर में कोई हिसाब नहीं होता। जिसे एक प्रकार से टेक्स चोरी कह सकते हैं। कोयले की इस बेहिसाब कमाई के लिए क्षेत्र की सामाजिक ऋण चुकाओ संस्था ने संबंधित केंद्रीय उच्च आयोग की चिट्ठी लिख कर इसकी जांच और शिकायत की बात कही है। लगातार 6 माह तक सर्वे कर उन्होंने एक गुप्त रिपोर्ट कुसमुंडा,गेवरा दीपका जैसे विश्व की बड़ी खदानों में कार्य करने वाले ऐसे कोल लिफ्टरो की बनाई है जिनके द्वारा काली कमाई कर महज चंद वर्षों में फर्श से अर्श तक की दूरी नाप ली गई है। अपने या दूसरों के नाम से महंगी महंगी गाड़ियां, नए मकान,बड़ी बड़ी जमीनें, अघोषित और अकूट संपति जो कि काले धन के रूप में जमा और खर्च किया जा रहा है,जिसकी जांच बेहद आवश्यक है। जिससे टेक्स चोरी पर लगाम लगाई जा सके। कोयला खदानों में 8 घंटे कड़ी मेहनत कर कोल उत्पादन करने वाला एक कर्मचारी अपने कमाई से हर वर्ष एक बड़ा हिस्सा सरकार को टेक्स में दे रहा हैं वहीं उत्पादित कोल से करोड़ों व्यारे न्यारे करने वाले लोग टेक्स देने से बच रहे हैं जिसकी जांच अति आवश्यक है। (रिपोर्ट – पी सिंह कोरबा -9407727224)